भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने प्रशासन ने कसी कमर, सर्वे शुरू
Updated on
17-07-2024 02:54 PM
भोपाल। शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के निर्देश पर एसडीएम और तहसीलदार द्वारा भिक्षावृत्ति में लिप्त वयस्कों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को चिह्नित कर सूची तैयार की जा रही है। इसके बाद इनके पुनर्वास के प्रयास भी किए जाएंगे। कलेक्टर ने बताया कि शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए यह प्रयास किए जा रहे हैं।इसमें लिप्त लोगों की पहचान कराने के लिए सर्वे कराया जा रहा है।
सर्वे के साथ की जाएगी कार्रवाई
एसडीएम रवीश श्रीवास्तव ने बताया कि तहसीलदार द्वारा गोविंदपुरा क्षेत्र में सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके तहत भीख मांगने वाले व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सर्वेक्षण, पहचान, मोबिलाइजेशन, पुनर्वास और आजीविका के उपाय किए जाएंगे। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जो भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों का उपयोग कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि कलेक्टर ने पांच महीने पहले भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए दल गठित करने के निर्देश दिए थे। इस पर सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के संयुक्त संचालक ने सोमवार को तहसीलवार दल गठित कर दिए हैं। इन दलों में एमपीनगर, गोविंदपुरा, कोलार, शहर, बैरागढ़, हुजूर, टीटीनगर तहसील के तहसीलदार को सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि एसडीएम को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
यह काम भी करेंगे दल
भिक्षावृत्ति रोकने के लिए गठित दल भीख मांगने में लिप्त व्यक्तियों के लिए आश्रय, भोजन, कपड़े, विस्तर, चिकित्सा सुविधाएं, परामर्श और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने का कार्य करेंगे। इसकी शुरूआत दलों ने कर दी है। इसके अलावा चौराहों, सड़कों, धार्मिक स्थानों, ऐतिहासिक स्थलों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों और अन्य सार्वजनिक भिक्षावृत्ति स्थानों के हाटस्पाट को चिह्नित कर सर्वे किया जाएगा।
भिक्षावृत्ति में 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे
राजधानी में पांच हजार से अधिक भिखारी हैं, जिनमें आधे से ज्यादा पांच से 16 साल के बच्चे हैं। कलेक्टर ने सामाजिक न्याय विभाग के अलावा शिक्षा और अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग को जमीन पर उतरकर काम करने के निर्देश दिए हैं।
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