शुक्रवार यानी 13 दिसंबर को नगर निगम परिषद की बैठक होने जा रही है। लेकिन इसमें शहर की जनता से जुड़े एक भी मुद्दे पर चर्चा नहीं होने वाली है। तीन महीने बाद हो रही बैठक में न तो किसी योजना पर चर्चा होगी और न ही खराब सड़क, पार्किंग, बदहाल पब्लिक ट्रांसपोर्ट और शहर के प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा को एजेंडे में शामिल किया गया है।
इन सबसे अलग बैठक में रायसेन जिले के हिनौतिया में नर्मदा जल सप्लाई के मुद्दे पर विचार किया जाना तय हुआ है। खास बात ये कि इस मुद्दे से सीधे तौर पर शहर का कोई सरोकार नहीं है। यानी तीन महीने में हो रही बैठक में भी शहर सरकार के पास विचार के लिए शहर से जुड़ा कोई विषय नहीं है।
नगर निगम परिषद की पिछली बैठक 30 अगस्त को हुई थी। इस हिसाब से 30 अक्टूबर से पहले बैठक होनी थी। भोपाल में यह पहला मौका है जब बैठक समय पर नहीं हुई है। कांग्रेस के दबाव बनाने के बाद बैठक का एजेंडा तैयार हुआ। उधर, परिषद अध्यक्ष का कहना है कि यदि कोई चर्चा चाहेगा तो आसंदी विचार करेगी।
खराब सड़कें, पार्किंग और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर बात हो : भावनानी
भोपाल सिटीजंस फोरम के पूर्व संयोजक हरीश भावनानी ने कहा कि नगर निगम परिषद में मुख्य रूप से सड़कों की स्थिति, पार्किंग, शहर की ट्रैफिक समस्या पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। परिषद के एजेंडे में ऐसे सभी मुद्दों को शामिल किया जाना चाहिए। पिछले कई दिनों से शहर में इन और ऐसे अन्य विषयों को लेकर जनता परेशान है। इनका हल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों की है।
प्रशासनिक रूप से एजेंडे में भले ही एक विषय आया है। लेकिन एक घंटे का प्रश्नकाल भी होगा और समय बचने पर यदि कोई पार्षद शहर से जुड़े किसी विषय पर सार्थक चर्चा चाहेंगे तो उस पर आसंदी से विचार किया जाएगा। - किशन सूर्यवंशी, परिषद अध्यक्ष
हर बैठक पर 7 लाख खर्च करता है निगम नगर निगम परिषद की एक बैठक पर निगम करीब साढ़े सात लाख रुपए खर्चा करता है। निगम के सभी अधिकारी और विभिन्न विभागों के 60 से ज्यादा कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है। इसके अलावा पार्षदों व अन्य आगंतुकों के लिए भोजन की व्यवस्था भी इस बैठक में होती है। कर्मचारियों का वेतन और व्यवस्था पर लगने वाले खर्चों को जोड़ने पर आंकड़ा लगभग साढ़े सात लाख रुपए तक पहुंचता है।