एमए चिदंबरम स्टेडियम की तैयारियां आखिरी पड़ाव पर चल रही है। लोअर टावर में नई LED लाइट्स लग रहीं हैं। तमिलनाडु क्रिकेट संघ ने पिच भी नए सिरे से तैयार की है। पिच की खुदाई कर उसमें लाल मिट्टी भरी गई है। भारत के दूसरे सबसे पुराने स्टेडियम में भारतीय टीम अबतक 300 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। इस साल की शुरुआत में भारत को यहां ऑस्ट्रेलिया से हार झेलनी पड़ी थी। अक्टूबर के शुरुआती दिनों में ओस कोई बड़ा फैक्टर नहीं होगा। मैच बढ़ने के साथ पिच धीमी होती चली जाती है, ऐसे में टीमें टॉस जीतकर पहले बैटिंग ही चुनेंगी।
एक लाख 30 हजार दर्शक क्षमता वाले दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम में दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट राइवलरी देखने मिलेगी। साल 2021 में अत्याधुनिक सुविधाओं से सजाकर मोटेरा स्टेडियम का नया नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम रखा गया था। इस मैदान पर साल 1984 से इंटरनेशनल मुकाबले हो रहे हैं। भारत का यह 50-50 का रिकॉर्ड रहा है। 18 में से 10 मैच में जीत मिली है। बड़े आउटफील्ड के चलते यहां स्पिनर्स गेंदबाजी करना पसंद करते हैं। यहां कुल 14 पिच हैं। पुनर्निर्माण के बाद टीम इंडिया ने लगभग हर फॉर्मेट में यहां खूब मैच खेले हैं। गेंदबाजी पाकिस्तान का सबसे मजबूत पक्ष है, ऐसे में रोहित शर्मा की टीम के लिए फ्लैट पिच के साथ ही जाएगी। भारत अपने घर पर काली मिट्टी की पिचों पर खेलना पसंद करता है, जिसमें कम उछाल और धीमापन होता है। भारत के अधिकांश पुराने मैदानों की तरह अहमदाबाद में भी कुछ अपवादों को छोड़कर बहुत बड़े स्कोर बनते नहीं देखे गए हैं।
आईपीएल में धीमी और सुस्त पिच बनाने के चलते आलोचना झेलने के बाद यूपीसीए ने एकाना स्टेडियम को नए सिरे से तैयार करवाया है। यह भी भारत के नए मैदानों में से एक है। भारत ने यहां खेलने के लिए इंग्लैंड जैसी सही टीम चुनी है क्योंकि सभी को उम्मीद होगी कि उनके स्पिनर्स अंग्रेजों पर लगाम कस सकेंगे। टीम इंडिया को यहां वनडे मुकाबले खेलने का आधा-अधूरा अनुभव है, ऐसे में डिफेंडिंग चैंपियंस इंग्लैंड से पार पाना कतई आसान नहीं होगा। अफगानिस्तान एकाना स्टेडियम को अपने घरेलू मैदान की तरह इस्तेमाल करता है। वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए उसके तीन एकदिवसीय मैच लो स्कोरिंग ही रहे। काली मिट्टी से बनी एकाना की पिच में स्पिनर्स और गेंद की गति को समझना अहम होगा।