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5000 लेकर मार्केट में उतरे और बना दिया अरबों का पोर्टफोलियो, जानिए राकेश झुनझुनवाला की कहानी

Updated on 05-07-2023 08:07 PM
नई दिल्‍ली : दुनिया उन्हें इंडिया का वॉरेन बफेट और बिग बुल (Big Bull) कहती थीं। शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले उनसे टिप्स लेने को तरसते थे। जिस स्टॉक पर वे हाथ रखते, लोग उसके पीछे भागते। हम बात कर रहे हैं राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) की। आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी है। 5 जुलाई 1960 को उनका जन्म हुआ था। झुनझुनवाला अब हमारे बीच नहीं हैं। 14 अगस्त 2022 को आखिरी सांस ली थी। शेयर बाजार (Share Market) में उनके बारे में कहा जाता था कि वे जिस चीज को छू लेते थे, वह सोना बन जाता था। आइए झुनझुनवाला से जुड़ी कुछ रोचक बातें जानते हैं।

​सिर्फ 5000 रुपये से की थी शुरुआत

राकेश झुनझुनवाला ने लाखों-करोड़ों रुपये से शेयर मार्केट में शुरूआत नहीं की थी। आप जानकर हैरान होंगे कि वे सिर्फ 5000 रुपये लेकर मार्केट में उतरे थे। बात साल 1985 की है। तब BSE का सेंसेक्‍स 150 अंकों के करीब था। उन दिनों लोग शेयर बाजार को बहुत कम समझते थे। आम लोगों की यह धारणा थी कि यह सट्टा ही है। उस समय बाजार आज की तरह बहुत रेगुलेटेड भी नहीं था। निवेश के विकल्‍प बहुत लिमिटेड थे। लोगों का भरोसा बैंक एफडी (Bank FD) वगैरह पर ही होता था। उस समय राकेश झुनझुनवाला ने दलाल स्‍ट्रीट में एंट्री मारी। निवेश के लिए उनके पास 5,000 रुपये थे। वह एक मिडिल क्लास फैमिली से आते थे।

​मौसम, मौत और बाजार के बारे में नहीं लगा सकते अनुमान

झुनझुनवाला अक्सर निवेशकों को अटकलबाजी से बचने और शेयरों के बारे में पूरी जांच- पड़ताल करने की सलाह देते थे। वे ट्रेडिंग के बजाय लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को अधिक तरजीह देते थे। झुनझनवाला कहा करते थे कि कोई भी शख्स मौसम, मौत और बाजार के बारे में कोई अनुमान नहीं लगा सकता है।

कंपनियों के मैनेजमेंट से पूछते थे कड़े सवाल

झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में शामिल शेयरों को लेकर उनके हर कदम पर निवेशकों की नजरें रहती थीं। यह अलग बात है कि इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में झुनझुनवाला के कुछ निवेश अधिक कारगर नहीं साबित हुए, लेकिन इसकी भरपाई उनके बाकी शेयर करते रहे। हालांकि, कंपनियों के उम्मीद के अनुरूप परफॉर्म नहीं करने पर भी एक निवेशक के तौर पर झुनझुनवाला काफी सख्त रुख अपनाते थे। वह इन कंपनियों के मैनेजमेंट से कड़े सवाल पूछने से परहेज नहीं करते थे।

झुनझुनवाला का था चुटीला अंदाज

खुलकर अपनी बात करना और चुटीला अंदाज झुनझुनवाला की खासियत रही। अन्य शेयर निवेशकों के उलट उन्हें सार्वजनिक रूप से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कोई परहेज नहीं रहा। उन्होंने कई सम्मेलनों में खुलकर शिरकत की। वे बाजार से इतर गतिविधियों पर भी अपनी राय खुलकर रखते थे। कई मुद्दों पर उनका नजरिया सत्तारूढ़ सरकार के रुख से मेल खाता था। एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मिलने पहुंचे थे।



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