खाने-पीने के सामान के दामों में गिरावट, बिजली और ईंधन की महंगाई घटने की वजह से रिटेल इंफ्लेशन में गिरावट देखने को मिली थी । सब्जियों की कीमतों में भी नरमी आ गई थी। महंगाई दर अब तक आरबीआई के बास्केट में था। जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट को स्थिर रखा, लेकिन आने वाले दिनों में आरबीआई के लिए ऐसा कर पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जिस तरह से टमाटर, प्याज, हरी सब्जियां, दूध, तेल, आटे-दाल आदि की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, महंगाई पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है। वहीं बेमौसम बरसात, भारी बारिश के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ है। आने वाले दिनों में आप पर महंगाई का और असर देखने को मिल सकता है। ये महंगाई आपके किचन के साथ-साथ-साथ आपके लोन पर भी असर डाल सकता है। आरबीआई की महंगाई और सीपीआई आंकड़ों पर बनी हुई है।
कर्ज महंगा होने का खतरा
जिस तरह से देश में खाने-पीने की चीजें महंगी हो रही है, उसे देखकर कर्ज महंगा होने का डर सताने लगा है। जुलाई में आने वाले सीपीआई महंगाई के आंकड़ें आएंगे अगर 5 फीसदी से ज्यादा या फिर 6 फीसदी के आसपास रहे तो आरबीआई इसे नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। अगस्त में आरबीआई एमपीसी की बैठक होगी। ऐसे में महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई रेपो रेट (ब्याज दर) में बढ़ोतरी कर सकता है। एक्सपर्ट्स की माने तो आरबीआई के पास एक और 25 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट बढ़ाने का विंडो खुला है। अगर आरबीआई ब्याज दर में बढ़ोतरी करता है तो जाहिर है कि आपने लोन की ईएमआई जाएगी।
टमाटर न बढ़ा दे आपके लोन की ईएमआई
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है। अप्रैल और मई के महीने में रिटेल महंगाई दर आरबीआई के बास्केट से भीतर रहा। मई 2023 में सीपीआई 4.25 फीसदी रहा, जो पिछले 25 महीने में सबसे कम था। महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए आरबीआई ने भी अप्रैल और जून में रेपो रेट को स्थिर रखा। लेकिन जिस तरह से पिछले एक-डेढ़ महीने से देश में खाने-पीने की चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही है, उसकी वजह से महंगाई दर बढ़ने की उम्मीद है। जून-जुलाई में महंगाई का आंकड़ा अगर 6 फीसदी के आसपास पहुंच गया तो आरबीआई को इसे नियंत्रित करने के लिए अगस्त में होने वाली एमपीसी की मीटिंग में रेपो रेट में इजाफा करना पड़ सकता है।
आरबीआई गवर्नर पहले ही दे चुके हैं संकेत
आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास पहले भी कह चुके हैं कि CPI महंगाई दर अभी भी RBI के 4 फीसदी के टारगेट से ऊपर है और अनुमान के अनुसार 2023-24 तक इसके ऊपर रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि मौसम में अनिश्चितता और इंटरनेशनल कमोडिटी कीमतों और वित्तीय बाजार में उतार चढ़ाव को देखते हुए महंगाई अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम बना हुआ है।उन्होंने साफ किया है कि अगर स्थिति बिगड़ी और महंगाई बढ़ी तो वह फिर से रेट बढ़ सकते हैं। आपको बता दें कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई रेपो रेट की दर में बढ़ोतरी करता है। रेपो रेट बढ़ने से लोन महंगे हो जाते है। बैंक महंगी दरों पर ग्राहकों को लोन ऑफर करते हैं। ऐसे में बाजार में लिक्विडिटी काफी कम हो जाती है , जिसकी मदद से महंगाई को नियंत्रित किया जाता है।