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'चीते पर सलाह नजरअंदाज की गई' सुप्रीम कोर्ट से बोले विदेशी एक्सपर्ट

Updated on 03-08-2023 01:44 PM

भोपाल: भारत में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए थे। इन चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो में रखा गया है। इन चीतों को लेकर दक्षिण अफ्रीकी और नामीबियाई विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में लिखा गया है कि उनकी राय को चीता प्रोजेक्ट के लिए बनी नई संचालन समिति की ओर से नजरअंदाज किया जा रहा है। चीतों को 'विंडो ड्रेसिंग' तक सीमित कर दिया गया है। विशेषज्ञों ने ये चिट्ठी दक्षिण अफ्रीका के एक नर चीता 'सूरज' के कूनो नेशनल पार्क में मृत पाए जाने के एक दिन बाद 15 जुलाई को लिखी थी।

 
 
इस पत्र में विदेशी विशेषज्ञों की ओर से पशु चिकित्सा वन्यजीव विशेषज्ञ प्रोफेसर एड्रियन टॉर्डिफ ने साइन भी किया है। उन्होंने प्रोजेक्ट के प्रबंधन पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट को लिखी चिट्ठी में परियोजना के वर्तमान प्रबंधन पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। चिट्ठी में कहा गया है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से मई 2023 में परियोजना की समीक्षा और निगरानी के लिए जो समिति गठित की, उसने चीता को लेकर दी गई राय पर ध्यान नहीं दिया। चिट्ठी में सुझाव दिया गया है कि कुछ महीने पहले तक परियोजना के प्रमुख सदस्य रहे प्रो. वाई. वी. झाला जैसे विशेषज्ञ को समिति के पैनल में शामिल किया जाना चाहिए।
 

कुछ जीतों की मौतों को रोका जा सकता था: एक्सपर्ट

हालांकि ऐसी परियोजनाओं में कुछ मृत्यु दर हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इनमें से कुछ चीतों की मौतों को बेहतर निगरानी और समय पर इलाज से रोका जा सकता था। उदाहरण के लिए, एक नर चीते की गर्दन पर घाव थे। उसे अनुकूलन शिविर के अंदर रखा गया था। इस नर चीते की बिगड़ती स्थिति के बावजूद, कुनो के कर्मचारियों ने उसका कोई इलाज नहीं किया और विशेषज्ञों को सूचित भी नहीं किया। विशेषज्ञों ने कहा कि इस चीता की मौत बिना इलाज मिले हुई है।

विशेषज्ञ कहते हैं कि इसके बाद एक और नर चीता को मृत पाया गया था। उनका ट्रैकिंग कॉलर में खराबी आ गई थी। इस वजह से उसकी गर्दन पर सूजन थी और घाव में कीड़े पड़ गए थे। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें पहले सूचित किया जाता और घावों की तस्वीरें दिखाई जाती, तो वे चीते का इलाज कर सकते थे।
 

समिति के अध्यक्ष ने विशेषज्ञों के आरोपों से किया इनकार

ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव और चीता प्रोजेक्ट के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेश गोपाल ने विशेषज्ञों के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि 'यह बात बिल्कुल भी सच नहीं है। समिति में 15 लोग थे। उनकी सिफारिशों को उचित सम्मान दिया गया था।
 

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