कोर्ट ने सुनवाई के दौरान की अहम टिप्पणी
सुनवाई के दौरान साफ हुआ कि दोनों के खिलाफ कोई अपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है। इस मामले में कोई केस भी दर्ज नहीं कराया गया है। सरकार की ओर से इस मामले में साफ किया गया कि शादीशुदा महिला याचिकाकर्ता दूसरे पुरुष के साथ अवैध तरीके से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है। वह शादीशुदा है। उसका अब तक तलाक नहीं हुआ है। उसका पति भी जीवित है। ऐसे में कोर्ट ने मामला सुनने के बाद सुरक्षा देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में संरक्षण नहीं दिया जा सकता है।हाई कोर्ट ने साफ कहा कि कल को याचिकाकर्ता यह कह सकते हैं कि कोर्ट ने उनके अवैध संबंधों को स्वीकार कर लिया है। पुलिस को उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे अवैध संबंधों को हमारी सहमति माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि विवाह की पवित्रता में तलाक पहले से ही शामिल है। अगर याचिकाकर्ता का अपने पति के साथ कोई मतभेद है तो लागू कानून के अनुसार सबसे पहले उससे अलग होने के लिए आगे बढ़ना होगा। पति के रहते हुए पत्नी को दूसरे पुरुष के साथ अवैध संबंध में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।